उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां माता-पिता ने तांत्रिक की बातों में आकर अपनी एक माह की बेटी की बलि दे दी। जब कई दिनों तक पड़ोसियों ने बच्ची को नहीं देखा, तो उन्हें शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने जब आरोपियों से पूछताछ की, तो पूरा मामला उजागर हुआ। अब पुलिस नवजात के शव की तलाश कर रही है।
यह मामला मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र का है। यहां बेलड़ा गांव में रहने वाले गोपाल कश्यप और उनकी पत्नी ममता पर आरोप है कि उन्होंने अपनी एक माह की बेटी की तांत्रिक के कहने पर बलि चढ़ाई। पुलिस के अनुसार, दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। आरोपियों ने बताया कि बच्ची की मां ममता लंबे समय से बीमार थी। इस स्थिति में, एक तांत्रिक ने सलाह दी थी कि अगर वे एक माह की बच्ची की बलि देते हैं, तो ममता की बीमारी ठीक हो जाएगी। इस झांसे में आकर पति-पत्नी ने अपनी बेटी की बलि चढ़ा दी।
पुलिस ने किया माता-पिता को गिरफ्तार
पुलिस ने बेटी की बलि देने के आरोप में माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया है। तांत्रिक की सलाह पर इस अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया गया था। पुलिस ने बताया कि आरोपियों को बुधवार रात बेलड़ा गांव से गिरफ्तार किया गया। पुलिस पूछताछ में दोनों ने बेटी की हत्या की बात कबूल की, जिससे यह चौंकाने वाली घटना सामने आई।
तांत्रिक ने दी थी बलि की सलाह
पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि ममता लंबे समय से बीमार चल रही थी। इसी दौरान एक तांत्रिक ने कहा कि अगर वे अपनी एक माह की बेटी की बलि देंगे, तो ममता की बीमारी ठीक हो जाएगी। इस सलाह पर भरोसा करते हुए, माता-पिता ने अपनी बेटी की हत्या कर दी और उसका शव जंगल में छिपा दिया।
पुलिस कर रही है शव की तलाश
पुलिस अब आरोपियों के बयान के आधार पर बच्ची के शव की तलाश कर रही है। साथ ही, पुलिस उस तांत्रिक हरेंद्र को पकड़ने के प्रयास भी कर रही है, जिसने माता-पिता को इस घिनौने कृत्य के लिए उकसाया था। मामले का खुलासा तब हुआ, जब बच्ची के गायब होने पर पड़ोसियों ने शक जताया और पुलिस को इस बारे में सूचना दी।
समाज में अंधविश्वास की जड़ें
इस घटना ने एक बार फिर से समाज में फैले अंधविश्वास और तांत्रिकों के झूठे दावों की सच्चाई को उजागर किया है। आज भी कई लोग विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा की बजाय तांत्रिकों और झाड़-फूंक जैसी प्रथाओं पर विश्वास करते हैं। इसका सबसे बड़ा शिकार अक्सर बच्चे और महिलाएं होती हैं, जिन्हें बलि या तंत्र-मंत्र की भेंट चढ़ा दिया जाता है।
तांत्रिकों की बढ़ती गतिविधियां
उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के कई हिस्सों में तांत्रिकों की गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। वे अपनी झूठी और अंधविश्वास आधारित धारणाओं के माध्यम से भोले-भाले लोगों को अपनी चपेट में लेते हैं। ऐसे तांत्रिक न केवल लोगों को भ्रमित करते हैं, बल्कि उन्हें अमानवीय कार्यों के लिए प्रेरित भी करते हैं। इस मामले में भी, तांत्रिक ने ममता की बीमारी का इलाज बलि के रूप में सुझाया, जो पूरी तरह से अंधविश्वास पर आधारित था।
पुलिस की कार्रवाई और समाज में जागरूकता की जरूरत
इस घटना के बाद पुलिस ने न केवल माता-पिता को गिरफ्तार किया है, बल्कि उस तांत्रिक की भी तलाश कर रही है, जिसने इस घटना को उकसाया। हालांकि, इस तरह के मामलों को रोकने के लिए सिर्फ कानून का सहारा काफी नहीं है। समाज में अंधविश्वास के खिलाफ व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। लोगों को यह समझाने की आवश्यकता है कि बीमारियों का इलाज आधुनिक चिकित्सा पद्धति से ही संभव है और तांत्रिकों की बातों में आना सिर्फ जान का खतरा बढ़ाता है।
बच्चों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे समाज में अंधविश्वास के चलते मासूम बच्चों की जान खतरे में पड़ जाती है। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समाज के हर वर्ग को जागरूक और सतर्क रहना होगा। ऐसे मामलों में प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है, ताकि बच्चों को इस तरह के खतरों से बचाया जा सके।
नारी और बाल संरक्षण की जरूरत
यह घटना नारी और बाल संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। ममता की बीमारी और बच्ची की बलि जैसे मामलों में अक्सर महिलाएं और बच्चे ही शिकार बनते हैं। समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर सख्त कानूनों के साथ-साथ जागरूकता और शिक्षा की भी आवश्यकता है, ताकि वे अंधविश्वास और अमानवीय प्रथाओं से बच सकें।
तांत्रिकों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग
समाज के विभिन्न वर्गों से तांत्रिकों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग उठने लगी है। ऐसे तांत्रिक जो अंधविश्वास के नाम पर लोगों की जान लेने का खेल खेलते हैं, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, लोगों को भी इस तरह के अंधविश्वासों से दूर रहना चाहिए और अपनी समस्याओं का समाधान विज्ञान और तर्क के आधार पर करना चाहिए।