इन लोगों से न कराएं अपने चरण स्पर्श, वरना नष्ट हो जाते हैं पुण्य
अपनों से बड़े और सम्मानीय लोगों के चरण स्पर्श करना यानी पैर छूना हिंदू धर्म की सदियों पुरानी परंपरा रही है। लेकिन हिंदू धर्म में कुछ ऐसे भी लोग बताए गए हैं जिनसे कभी भी अपने चरण स्पर्श नहीं कराने चाहिए। इससे व्यक्ति के पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। हिंदू धर्म में किसी के चरण स्पर्श करने का अर्थ उसके प्रति सम्मान व्यक्त करना है। इसलिए बड़े-बुजुर्गों, माता-पिता और गुरुजनों के पैर छुए जाते हैं। इसके अलावा कुछ खास रिश्तों में उम्र में बड़े व्यक्ति भी अपने से कम उम्र वाले व्यक्ति के पैर छूते हैं। लेकिन हिंदू धर्म में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है जिनसे चरणस्पर्श कारने से व्यक्ति से सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
लड़कियां क्यों नहीं छूती माता-पिता के पैर
माता-पिता अपनी बेटियों से पैर नहीं छुवाते, यह भारत की एक प्राचीन परम्परा है। क्योंकि अविवाहित कन्याओं को माता का स्वरूप माना जाता है और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना भी बहुत अहम माना जाता है। इसलिए माता-पिता अपनी बेटियों से चरण स्पर्श नहीं कराते।
क्या पति को छूने चाहिए पत्नी के पैर
हिंदू धर्म में पतियों का अपनी पत्नी के पैर छूना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा माना जाता है कि पैर छूकर पुरुष उसके स्वधर्म में बाधा उत्पन्न कर सकता है। पति द्वारा पैर छूने से महिलाओं के पतिव्रत धर्म में बाधा उत्पन्न होती है।
इससे कभी न कराएं चरण स्पर्श
हिंदू धर्म में माना गया है कि दामाद से चरणस्पर्श कराने से व्यक्ति के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं। क्योंकि शादी के समय लड़की के माता-पिता दामाद के चरणों को स्पर्श करते उन्हें धोते हैं। ऐसे में दामाद से चरणस्पर्श नहीं कारने चाहिए। दामाद के प्रणाम करने पर उसे दूर से ही आशीर्वाद देना चाहिए।
भांजों से क्यों न कराएं चरण स्पर्श
अपने भांजे से भी चरणस्पर्श नहीं कारने चाहिए, क्योंकि भांजे को भगवान का स्वरूप माना गया है। भांजियां भी अपने मामा के चरण स्पर्श नहीं करती।